Tuesday 1 December 2020

जिसकी तलाश थी

दिल की आस ने करवट मारी है 
छोड़े हर बारी, अब वो बारी है | 
अब वो बारी है...... 

सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी 
सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी 


ख्वाब गली से गुज़रेगा 
अब उसको कौन देखेगा 
था इरादा जो आँखों का 
आहटों की बात थी 

सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी 
सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी 

धूप किनारे कर दो कोई 
शाम की चादर ला दो 
सोना है गहरी नींद मुझे 
महबूब का साथ बिछा दो 

छाटने अँधेरा आओ कोई 
लौ एक सुलगा दो 
आना है उस पार मुझे 
बाहों का जाल बिछा दो 

वो जो एहसास था उसका 
अब उससे मुलाकात थी 

सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी  
सामने खड़ी है मेरे, वो जिसकी तलाश थी